


होली का त्योहार हर्ष और उल्लास का प्रतीक है, लेकिन कई बार लोग अधिक उत्साह में अनुचित व्यवहार कर बैठते हैं। इस दौरान नशे का सेवन, अनियंत्रित आचरण, झगड़े और दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक होंगे।
होलिका दहन और राहु-केतु का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन के समय राहु ग्रह की उग्र स्थिति बनी रहती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन शिव जी ध्यान और तपस्या में लीन थे। माता पार्वती के प्रयासों के बावजूद, शिव जी का ध्यान भंग नहीं हुआ। तब कामदेव ने अपना पुष्प बाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की। इस पर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। इसके बाद शुभ ग्रहों का प्रभाव कम होने लगा और राहु-केतु जैसे छाया ग्रहों की शक्ति बढ़ गई। माना जाता है कि शिव जी द्वारा कामदेव को भस्म किए जाने की घटना के समय से ही होलाष्टक की परंपरा शुरू हुई। इस दौरान कई शुभ कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है।
होली पर राहु-केतु को शांत करने के आसान उपाय
- होली के दिन एक नारियल लें और इसे भूरे रंग के कपड़े में लपेटें। इसे अपने शरीर से 21 बार घुमाकर होलिका की अग्नि में अर्पित करें। ऐसा करने से राहु ग्रह की नकारात्मकता कम होती हैऔर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं।
- होली की अग्नि में तिल अर्पित करने से केतु ग्रह का प्रभाव शांत होता है। विशेष रूप से काले तिल का प्रयोग करने से कुंडली में केतु से जुड़ी बाधाएं कम होने लगती हैं
- होलिका दहन के बाद निशीथ काल (रात्रि के मध्य समय) में राहु मंत्र का जाप करें। इससे राहु ग्रह अनुकूल परिणाम देने लगता है।
- होली के दिन सात तरह के अनाज को अपने ऊपर से घुमाकर पक्षियों को अर्पित करें। इससे राहु-केतु के सकारात्मकफल प्राप्त होंगे और विदेश यात्रा में आ रही रुकावटें दूर होंगी। इन उपायों को अपनाकर न केवल कुंडली के दोषों को कम किया जा सकता है, बल्कि होली का पर्व भी सुख-शांति और समृद्धि के साथ मनाया जा सकता है।